Headnotes

1. जब कोई हिन्दू मुसीबत में हो और हम उसकी रक्षा के लिए आगे नहीं आ पाये, तो हम में और अतिरेकियो में कोई भेद नहीं है|
2.
Religious conversion never acceptable in any forms. Be faithful for your and don't loose the trust about your born religion

Friday 22 March, 2013

होली मनाने का परम्परागत तरीका

होली को जिस तरीके से खेलने की परंपरा है, उससे हम पूरी तरह उलटा खेलते है| आज के ज़माने में होली खेलने के लिए ऐसे ऐसे केमिकल्सयुक्त पदार्थ का प्रयोग हो रहा है, जो हमारी स्किन के लिए विषैल/जहरीला है| इनमे से कुछ रंग ऐसे होते है, जो पानी में गिला करके ही प्रयोग किया जाता है और एक दिन की मस्ती के बाद उसका हमारी स्किन से रंग जाते जाते कुछ सप्ताह बीत जाते है| आज फैशनेबल होली में कुछ लोग तो जो मन में आया वह पदार्थ ले लेते है और पूरे गाँव/सोसायटी/अपार्टमेंट को तंग करते है| माने डॉन बनकर दादागिरी में लगे हुए हो! फिर बोलते है, "बुरा मत मानो", यह एक संवाद/डायलोग है, जो हमारी जबान पर लग गया है|

परंपरागत होली में पानी का प्रयोग कुछ ही चीजो के लिए होता है, जैसे पलाश/टेसू(કેસૂડો) के फूल, जो पानी के साथ उबाले जाते है, और फिर उस पानी में टेसू का पूरा सत्व आ जाता है| वही पानी पिचकारियो से एकदूजे पर छिड़का जाता है| गरमी के प्रारंभिक दिनों में टेसू के फूल का पानी त्वचा के लिए बहुत उपयोगी होता है| हिन्दू परम्पराए किसी की मनघड़क प्रथाए नहीं है, इसके पीछे बहुत बड़ा विज्ञान छिपा हुआ है|

दूसरी एक चीज है, जो होली में भरपूर प्रयोग की जाती है, गुलाल| गुलाल तरह तरह के रंगों में मिलाता है जो इस बात की प्रेरणा देता है, की हमारा जीवन रंगबिरंगी होना चाहिए, सुखा और नीरस नहीं| शरीरविज्ञान के साथ मनोविज्ञान भी आ गया| लेकिन एक चीज ध्यान में रखे, जब गुलाल से होली खेल रहे हो, तब पानी का प्रयोग कदापि न करे|

ऐसी कई प्राकृतिक चीजे है, जो हम होली में एक दुसरे पर छिड़क सकते है, जैसे गेंदे के फुल, अबीर, कुमकुम, अक्षत इत्यादि|

Thursday 21 March, 2013

मुस्लिमो को भी अपनी परिसंकल्पना के लिए साथ जोड़े|

एक बात सच है, की अंग्रेजो ने Divide and Rule की नीतिया अपनाकर भारत के हिन्दू-मुस्लिम के बिच में नफ़रत के बिज बोये थे| 1857 से पहले जब गौहत्या के खिलाफ लड़ने का मामला आता था, तब यही मुसलमान हिन्दुओ का साथ देते थे| अतः मेरा मानना है की हम एक बुरे सपने में जी रहे है|

आज हमें चाहिए की यह सभी बात हम देश के सभी नागरिको के सामने लाए और अपनी सुराज्य की परिसंकल्पना में मुस्लिमो को भी जोड़ दिया जाए| ऐसा करने से रफ्ता रफ्ता भारत विश्वगुरु बनने की और अग्रेसर होगा और फिर मुसलमान हिन्दुओ को तंग नहीं करेंगे|


गुजरात के निवासी डॉ. निलेश वसावा ने मुझे पुछा की, musalmano ko jyadatar hinduo ne hamesha saath diya, unko develop hone me madad ki he. 
लेकिन Saath to Hinduo ne sabka diya hai. Gujarat ne hi Parsio ko panah di thi.  Aur aaj Parsi kaum ka iss desh ke vikas me bahot bada yogdan hai. Homi Bhabha aur Jamshedji Tata, Yadi ye dono nahi hote to, shayad bharat itna aage nahi hota. Vikas me to Dr. Abdul Kalam ke bhi aabhari hai. Mai hamesha se kehta hu, Apne Muslim kaise ho, Abdul Kalam jaise ho.

हैदराबाद के निवासी उमाशंकर साहू जी ने मुझे पुछा की, की मैं तथ्यों को तोड़-मरोड़ कर खुद को भ्रम में फंसा रहा हु, muslimo ne gauhatya ke khilf ladne me kabhi sath nahi diya, Vo kartooso me suvar ki charbi hone se naraj the Aur hindu gaay ki. musalmaan bhart me ladkar satta prapt karne hi aaye the, Agar tuna kar ke dekhe to bharat ko jitni chot angrejo ne pahuchayi hai usse kahi jya muslimo ne
तो, India, Pakistan, Bangladesh ityadi jitne bhi desh Indian Subcontinent(Bharatvarsh) ke ang hai, Unme base huve Hindu aur Muslim ke purkhe ek hai. Tathakathit vo Muslim jo bharat me ladkar satta prapt karne aaye the, woh to Arab aur Persia se aaye the. Persia se to maine apni pi6li comment me jo kaha woh bhi aaye the. Atah yahi tark nikalta hai, ki Bharat me satta karne wale Mughal to kab ke chale gaye, Ab jo atireki bache hai, voh gumrah kiye gaye Muslim hai.

कोंग्रेस का रवैया अंग्रेजो से कम नहीं था, सद्भावना की जरूरत आज भी

अमेरिका खुद ही अपने ऊपर हमले करवाता है, और उसका सारा जिम्मा अरब, फारस और ऐसे सभी मुस्लिम देशो पर डाल देता है| वह इन देशो का जूनून भड़काने में कुख्यात है| इसी कारण उसे कभी कभी आतंकवादी हमले भी जेलने पड़ते है|

बात भारत की,

अंग्रेजो के ज़माने में जो "Divide and Rule" की निति चली थी| उसने न सिर्फ भारतीय मुस्लिमो को हिंदुविरोधी बनाया, लेकिन हिन्दुओ को भी मुस्लिमविरोधी बना दिया| After all the discussion, हिंदुत्व के स्वरूप को ही बदल दिया| सांप्रदायिक वैमनस्य को भड़काते गए और अपना राज सुरक्षित रखा| फिर भी भारत के लोगो ने अंग्रेजो को भारत छोड़ने के लिए मजबूर किया| अंग्रेजो ने चाल चली, सत्ता के हस्तांतरण के लिए एक तारीख तय की और माउन्ट बैटन और उसकी पत्नी एडविना के साथ मिलकर नेहरू और जिन्हा को ब्लैकमेल करना शुरू किया| नेहरू, जिन्हा और एडविना तीनो क्लासमेट थे उस वक्त एडविना के दोनों के साथ नजाइश सम्बन्ध थे| नेहरू और जिन्हा के बिच में झगडे होते थे, आम तौर पर एडविना को लेकर| और उसी झगडे का फायदा उठाकर ब्रिटिश लोगो ने पाकिस्तान नामक देश को जन्म दिलवाया| विस्तृत जानकारी के लिए सुनिए - http://www.youtube.com/watch?v=5XtcFiZwENY

तो आपने देखा, कैसे गांधीजी के विचारो पर बलि चढ़ाई गई! आज भी बार बार गांधीजी का नाम लेकर राजनीती करनेवाले लोगो ने कैसे गांधीजी को हांसिये में धकेल दिया!


एक ही परिवार को समर्पित यह पार्टी आज तक अपना शासन कायम रखने के लिए अंग्रेजो की Divide and Rule की निति इख्तियार करती थी, क्योकि भला हो इस देश की जनता का जो इस पार्टी का सूपड़ा 2014 के चुनावो में साफ़ कर दिया और मोदीजी को प्रधानमंत्री बनाया|

आज हमें इस बुद्धिमत्ता के युग में जान लेना चाहिए, की वास्तव में कौमी शांति भंग होने और सांप्रदायिक सद्भावना तूटने का असली कारण क्या है? सद्भावना बरकरार रखना और व्यक्तिगत स्तर पर साम्रदायिक वैमनस्य को समाप्त करना जब तक नहीं होता तब तक इस देश से कोंग्रेस रुपी दीमक का खात्मा नहीं हो सकता| कोंग्रेस को उखाड़ फैकने का काम चुनाव से तो होता ही है, लेकिन उसके साथ जरूरी है, जो वैमनस्य उसने फैलाये है उसे व्यक्तिगत स्तर पर समाप्त करने की, तभी अपना देश कोंग्रेसमुक्त हो पाएगा|

Swami Vivekananda

Aadi Dharma hame kehta hai, "Jisko Ishvar par shraddha nahi, voh nastik hai."

Lekin Swami Vivekanand ji ne Nastik shabd ka roop badal diya hai.

Hindi me

"Jisko swayam ke upar shraddha nahi, voh nastik hai."

Chahe kitne bhi mandir ghumo, kitni bhi prarthanae karo, jise swayam ke upar aatmavishvas nahi, use Ishwar par shraddha hona nirarthak hai.

Urdu me

"Jise khud ke upar bharosa nahi, voh kaafir hai."

Chahe kitni bhi chaddar chadhao, kitne bhi namaz ada karo. Jise khud par bharosa nahi, use Allah par bharosa hona bahot bada sawal hai.

Muslim atireki nahi hote.

The British Rule was responsible to destroy the unity between Hindu and Muslim in India, Am I right?

Angrejo ne hi India ke andar Hindu aur Muslim ke bich ki unity khatma ki hui hai.

Lens Down usme sabse jyada kukhyat hai. Masjido ke bahar inke aadmi suar kat ke 6od jate the aur Musalmano se kahte the dekho Hindu log tumhari Masjid ko napak bana rahe hai.

Wohi log kisi Hindu Mandir ke samne gaay katke 6od dete the aur Hinduo me dushprachar karte the, dekho Musalman tumhari gaay kat rahe hai aur Mandir apavitra kar rahe hai.

Iska proof dene ki jaroorat nahi hai. Angrejo ke "Divide and Rule" ke liye itihas gavah hai. Unki yahi niti thi ki iss dekh ke Hindu aur Muslim ek dusre se ladte rahe aur apna raaj chalta rahe. Bharat me Hindu-Muslim ka pahla danga 1857 me Angrejo ne karaya tha.

Aaj NEWS me Bangladesh, Hyderabad, 24 Pargana jaise vistaro me aatatayiya dekhta hu, to man me ek hi sawal aata hai.

Akhir, kab ham isse samjenge????? Ki hamare bich me keval atiya/bhrantiya hi pal rahi hai, jo in Angrejo ne boi hui hai.

इसाई पंथ और अंधश्रद्धा

कैथोलिक इसाई पंथ के लोग जिसस के आप्तवचन तो कब के भुला चुके है| यद्यपि प्रोटेस्टंट उसे उजागर करने के लिए काफी प्रयास कर रहा है|

लेकिन जिस तरह मिशनरीवाले आदिवासी इलाको में जाकर सेवा करते है और वहा की भोली जनता को भरमाते है| जिसस की लकड़ी की मूर्ती बनाते है और श्री कृष्ण की पत्थर की| फिर बोलते है, देखो आपके भगवान डूब गए और हमारे तैर रहे है, इसलिए इसाई बन जाओ|

इनकी यह मूर्ती डूबाने और तैरानेवाली बाते अंधश्रद्धा ही फैला रही है| माने इतनी अंधश्रद्धा फैलाते है, जीतनी मध्यकालीन हिन्दू में भी नहीं थी| भारतीय आदिवासी के लिए हमें बहुत कुछ करने की आवश्यकता है|