कैथोलिक इसाई पंथ के लोग जिसस के आप्तवचन तो कब के भुला चुके है| यद्यपि प्रोटेस्टंट उसे उजागर करने के लिए काफी प्रयास कर रहा है|
लेकिन जिस तरह मिशनरीवाले आदिवासी इलाको में जाकर सेवा करते है और वहा की भोली जनता को भरमाते है| जिसस की लकड़ी की मूर्ती बनाते है और श्री कृष्ण की पत्थर की| फिर बोलते है, देखो आपके भगवान डूब गए और हमारे तैर रहे है, इसलिए इसाई बन जाओ|
इनकी यह मूर्ती डूबाने और तैरानेवाली बाते अंधश्रद्धा ही फैला रही है| माने इतनी अंधश्रद्धा फैलाते है, जीतनी मध्यकालीन हिन्दू में भी नहीं थी| भारतीय आदिवासी के लिए हमें बहुत कुछ करने की आवश्यकता है|
लेकिन जिस तरह मिशनरीवाले आदिवासी इलाको में जाकर सेवा करते है और वहा की भोली जनता को भरमाते है| जिसस की लकड़ी की मूर्ती बनाते है और श्री कृष्ण की पत्थर की| फिर बोलते है, देखो आपके भगवान डूब गए और हमारे तैर रहे है, इसलिए इसाई बन जाओ|
इनकी यह मूर्ती डूबाने और तैरानेवाली बाते अंधश्रद्धा ही फैला रही है| माने इतनी अंधश्रद्धा फैलाते है, जीतनी मध्यकालीन हिन्दू में भी नहीं थी| भारतीय आदिवासी के लिए हमें बहुत कुछ करने की आवश्यकता है|
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